Friday, January 18, 2008

Iss sardi mein ek sham dhale...


धुंध है सारी सड़कों पर
और जाडा ठंड से कांपता है
ऐसे में एक शाम ढले
सपने मिलने आ जाते हैं
वो मेरी रजाई में घुस कर
कुछ प्यार की बातें करते हैं,
फिर चाय के प्याले चलते हैं
कुछ बातें वातें होती हैं
कुछ ताने शिकवे होते हैं

फिर कोई सपना पूछता है
वो यार तुम्हारा कैसा है
वो जिसकी बातें करते हो
वो जिसके किस्से कहते हो
मैं सोच रहा हूँ कुछ दिन से
कुछ ऐसा करूं
पर कैसे करूं
के सारी फसलें ख्वाबों की
मैं तेरे हिस्से में लिख दूं