Saturday, November 17, 2007

Sardiyaan......



सरि्दयां
बढ़ रही हैं
अब...
िफर से,
िफर से
भूली सी याद
आती है,
िफर कोई पूछता है
अपना पता...
िफर कोई
ढूंढ रहा है...
हमको...!
अब के वो
ढूंढ ले...
तो
बात बने..