सरि्दयां
बढ़ रही हैं
अब...
िफर से,
िफर से
भूली सी याद
आती है,
िफर कोई पूछता है
अपना पता...
िफर कोई
ढूंढ रहा है...
हमको...!
अब के वो
ढूंढ ले...
तो
बात बने..
बढ़ रही हैं
अब...
िफर से,
िफर से
भूली सी याद
आती है,
िफर कोई पूछता है
अपना पता...
िफर कोई
ढूंढ रहा है...
हमको...!
अब के वो
ढूंढ ले...
तो
बात बने..
1 comment:
kyon?
ab ke dhoond lene mein aisa kya khaas hai aakhir?
Post a Comment